बॉम्बे शिया मस्जिद में महिला मिशनरियों की गतिविधियां
इंटरनेशनल कुरान न्यूज एजेंसी (IQNA) के मुताबिक भारत बॉम्बे में ईरानी कल्चरल एसोसिएशन के अनुसार, विद्वान और ज्ञानी लोग, जो धार्मिक मामलों में ज्ञान और जाग्रुक्ता के साथ मुसलमानों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
मोहम्मद फ़ैय्याज़ बाक़री मस्जिद के इमाम ने कहा, "यदि एक महिला को पढ़ाया जाऐ, तो मूल रूप से परिवार को शिक्षित किया गया है, और अगर महिला धार्मिक शिक्षा लेती है, तो वह वास्तव में एक समाज प्रशिक्षित है"।
उसने कहा कि विद्वान महिलाऐं लड़कियों और बच्चों को इस्लामी आज्ञाओं और कुरानिक अवधारणाओं के साथ परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, और उन्हें एक अच्छे जीवन के लिए तैयार कर सकती हैं।
इन विद्वानों में से एक, मौलाना मुहम्मद फय्याज़ बाक़री की पत्नी हैं, जो कि अपने प्रयासों से महिलाओं के समाज को धार्मिक मामलों से अधिक परिचित कराने में सक्षम हैं।
उज़्मा बाक़री कहती हैं: मैं मस्जिद महफ़िले ज़हरा जहर में क़ुरान पढ़ाने के लिऐ कक्षाएं लगाती हूं इन कक्षाओं में 5 से 15 साल की उम्र के बच्चे भाग लेते हैं और वह सभी इस्लामी आदेशों से परिचित हैं।
मस्जिद में एक और महिला विद्वान ने कहा:मैं इस मस्जिद में ईबादी व सियासी शुक्रवार की प्रार्थना से पहले व्याख्यान करती हूं और उस दिन के मुद्दों पर जो मुस्लिम दुनिया में हो रहे हैं चर्चा करती हूं।